दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसान आंदोलन की आड़ में दंगा करने वाले दंगाइयों के खिलाफ अब देशद्रोह का मुकदमा चल सकता है
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नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Peasant movement) की आड़ में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन दिल्ली में हिंसा करने वाले दंगाइयों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चल सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 जनवरी को दिल्ली में दंगा करने वाले दंगाइयों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत जांच होगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 26 जनवरी को हुई हिंसा के मामले की जांच शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस ने शुरुआती जांच में दंगे में लिप्त पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं।
दिल्ली पुलिस ने 44 लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली पुलिस अपराध शाखा लाल किले, आईटीओ और 7 अन्य स्थानों पर हुई हिंसा से संबंधित मामलों की जांच करेगी। इस बीच दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में 33 प्राथमिकी दर्ज कीं, 44 लोगों के खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी किए हैं। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को बताया कि किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा को लेकर योगेंद्र यादव और बलबीर सिंह राजेवाल समेत 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इन किसान नेताओं से 3 दिन में अपना जवाब देने के लिए कहा है।
दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई से एक दिन पहले बुधवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने आरोप लगाया था कि 26 जनवरी की हिंसा में किसान नेता शामिल थे और उन्होंने चेतावनी दी थी कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘हमने योगेंद्र यादव समेत 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी किया है। इन सभी से तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।’ पुलिस ने बुधवार को अन्य किसान नेता दर्शनपाल को नोटिस जारी किया था और कहा था कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले में तोड़फोड़ ‘सबसे अधिक निंदनीय और देश विरोधी कृत्य’ है।
किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई थी व्यापक हिंसा
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को ही किसानों की ट्रैक्टर रैली (Tractor parade) के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी। गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड का लक्ष्य कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग करना था। दिल्ली पुलिस ने राजपथ पर समारोह समाप्त होने के बाद तय रास्ते से ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दी थी, लेकिन हजारों की संख्या में किसान समय से पहले विभिन्न सीमाओं पर लगे अवरोधकों को तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए। कई जगह पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई और पुलिस को लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा। गणतंत्र दिवस को हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए हैं।
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