गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा पर पहली बार बोले CM अरविंद केजरीवाल, कहा- 'जो हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था' परंतु किसान आंदोलन जारी रहेगा और इस आंदोलन को पूरा समर्थन है
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Arvind Kejriwal (File Photo) |
नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में इस बार 72वें गणतंत्र दिवस पर आंदोलन पर बैठे किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला जो हिंसक हो उठा. किसान ट्रैक्टर मार्च के तय रूट के बजाय दिल्ली के लाल किले तक पहुँच गये. इस घटना पर पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की प्रतिक्रिया सामने आई है. आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में दिए अपने संबोधन में केजरीवाल ने कहा, "26 जनवरी को जो कुछ भी हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था, जो हिंसा हुई वो दुर्भाग्यपूर्ण थी." किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों पर उन्होंने कहा, "किसानों पर फर्जी केस पे केस लगाए जा रहे हैं. जो भी इसके लिये जिम्मेदार हैं, जो भी पार्टी इसके लिए असल मे ज़िम्मेदार है उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए."
आम आदमी पार्टी शुरू से ही किसान आंदोलन के समर्थन में हैं. राष्ट्रीय परिषद की बैठक में किसानों का जिक्र करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, "आजकल हमारे देश का किसान बहुत दुखी है. 70 साल में उसे काफी परेशान किया गया, कहते थे किसानों का लोन माफ करेंगे लेकिन किसी ने भी लोन माफ नहीं किया. किसानों के बच्चों को नौकरी देने का वादा किया लेकिन नौकरी नहीं दी. पिछले 25 साल में साढ़े 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं. लेकिन किसी भी पार्टी ने किसानों की सुध नहीं ली." कई बार सोचता हूं कि ये किसान इतनी ठंड में कैसे बैठे हैं।
केजरीवाल ने गणतंत्र दिवस की घटना पर कहा कि, 26 जनवरी को जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जो भी असल में जिम्मेदार है, उस पर कार्रवाई हो लेकिन ये फर्जी केस लगा रहे हैं। जो भी पार्टी हिंसा की जिम्मेदार है, उसके खिलाफ एक्शन हो। मगर हिंसा की वजह से मुद्दे खत्म नहीं हुए, आंदोलन खत्म नहीं होगा।
किसानों की दुखती समस्या तो आज भी है, आंदोलन आज भी खत्म नहीं हो सकता, जिस देश का किसान दुखी है, वह देश सुखी नहीं है। अपने इलाके में अहिंसापूर्वक साथ दें। जब भी किसान का साथ देने जाओ, तो डंडा, झंडा और टोपी घर छोड़कर जाओ।
अपनी पार्टी के लोगों से अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने अपील करते हुए कहा, "हम सब लोगों को मिलकर किसानों का अहिंसापूर्वक साथ देना है. अपने अपने इलाकों से जब भी किसानों के साथ देने जाओ, अपना झंडा, डंडा और टोपी घर पर छोड़कर जाना. किसानों के बीच गैर-राजनीतिक तरीके से, देश का एक आम नागरिक बनकर जाना है."
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