तीसरी लहर में बच्चों पर कहर का अंदेशा, तीसरी लहर से लड़ने के लिए तैयारियां तेज, बच्चों के डॉक्टरों और एंबुलेंस की बढ़ाई गई संख्या
कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण का खतरा टला नहीं है. तीसरी लहर (Third Wave) आने की आशंका के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक पैनल ने पीएमओ को रिपोर्ट सौंपी है. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (NIDM) तीसरी लहर के मद्दनेजर मिल रही चेतावनियों पर अध्ययन कर तीसरी लहर से लड़ने की तैयारियां कर रही हैं.
अक्टूबर में तीसरी लहर का हो सकता है पीक
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरी लहर का पीक अक्टूबर में हो सकता है. साथ ही यह भी कहा गया है कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले हैं कि बच्चों पर इस वायरस का असर ज्यादा होगा लेकिन वायरस के फैलने से बच्चों में खतरा बढ़ सकता है क्योंकि भारत में बच्चों को टीके अबतक नहीं लगे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण बिना लक्षण वाला देखा गया था और उनमें हल्के लक्षण भी थे लेकिन पहले से बीमार व ज्यादा देखरेख वाले बच्चों के लिए यह काफी चिंता का विषय था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक जो भी बच्चे कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती हुए थे उनमें से 60-70 प्रतिशत मामले ऐसे थे जिसमें बच्चों को या तो पहले से कोई बीमारी थी या फिर उनकी इम्यूनिटी कमजोर थी. बच्चों में कोरोना से ठीक होने के बाद MIS-C (Multi-system Inflammatory Syndrome) भी होता देखा गया था. यह दुर्लभ लेकिन गंभीर था.
सुझाए ये उपाय
रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के लिए डॉक्टरों, स्टाफ, वेंटिलेटर्स,एंबुलेंस आदि व्यवस्था काफी हद तक ज्यादा मामलों की स्थिति में जरूरत के करीब कर ली गई है. 2015 के संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि देश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के डॉक्टरों की 82 प्रतिशत कमी थी.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के चिकित्सकों की 62.8 प्रतिशत पद खाली थे.वर्किंग ग्रुप कमेटी के एक्सपर्ट्स ने समग्र घरेलू देखभाल मॉडल, बाल चिकित्सा क्षमताओं में तत्काल वृद्धि और बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया. इसके अलावा कोरोना वार्ड को इस तरह से बनाने का सुझाव दिया गया है जिसमें बच्चों की देखभाल करने वाले और उनके माता-पिता बिना संक्रमित हुए उनकी देखभाल कर सकें.
इसके अलावा कहा गया है कि सामान्य बच्चों और पहले से बीमार बच्चों को वैक्सीनेशन को तत्काल प्राथमिकता दी जाए. हालांकि बच्चों में वैक्सीनेशन के दौरान काफी एहतियात की जरूरत है. बच्चों की वैक्सीन को तत्काल मंजूरी देने से पहले उनके क्लीनिकल ट्रायल के डाटा की अच्छी तरह से समीक्षा की जाए. शिक्षकों और स्कूल स्टाफ को वैक्सीनेट किया जाए.
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