नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दो महीने से, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
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| Global agenda conspired against India Greta's Thunberg file revealed Secret (File Photo) |
अंतरराष्ट्रीय पॉप सिंगर रिहाना और पोर्न स्टार मिया खलीफा के उपरांत पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने भारत में चल रहे किसान विरोध के समर्थन में ट्वीट किया था। ग्रेटा थनबर्ग ने एक 'टूलकिट' के बारे में ट्वीट किया जिसमें उसने कहा कि किसानों का समर्थन करने के इच्छुक लोग इस 'टूलकिट' का उपयोग कर सकते हैं। "हालांकि, यह टूलकिट सिर्फ एक संसाधन फ़ाइल नहीं थी, यह एक खतरनाक दस्तावेज़ था,"
जिससे पता चला कि कैसे एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत विरोधी ताकतें भारत के लोकतंत्र में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, सोशल मीडिया पर इस धमाकेदार ट्वीट के खुलासे के तुरंत बाद ग्रेटा ने दस्तावेज़ को डिलीट कर दिया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी लोगों के पास यह डॉक्यूमेंट पहुँच चुकी था। सोशल मीडिया उपयोगकर्ता बहुत सारे कंटेंट डाउनलोड कर चुके थे और साथ ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चूका था।
गौरतलब है कि दस्तावेजों की जाँच करते समय यह पता चला कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने से पहले दस्तावेजों की एडिटिंग की गयी थी, और इसका उपयोग सोशल मीडिया पर भारत विरोधी आंदोलन को व्यवस्थित रूप से करने के लिए किया जा रहा था। इससे यह भी पता चला कि भारत में अशांति फ़ैलाने का षड्यंत्र 26 जनवरी को हुए दंगों से पहले शुरू हो चूका था। दस्तावेज में पूर्व निर्धारित ट्वीट्स भी शामिल थे, इस टूलकिट में एक शीर्षक है, "भारतीय किसानों के साथ एकजुटता - ट्विटर पर तूफान (‘Solidarity with Indian farmers – Twitter storm’)" जिसमें यह वर्णित है कि पूरे आंदोलन को वैश्विक मान्यता कैसे दी जाएगी। इसके दो प्रभावशाली नाम हैं। पहला है ग्रेटा थनबर्ग और दूसरा रिहाना। " इसमें सूचीबद्ध तरीके से वो सारे एक्शन लिखें हैं कि आखिर ‘Farmer Protest’ के लिए दुनिया भर में क्या-क्या किया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार यह दस्तावेज एक मजबूत सबूत हैं, जो साबित करता है कि भारत के खिलाफ न केवल देश के भीतर बल्कि विदेशों में भी दुष्प्रचार किया जा रहा है। यह दस्तावेज यह भी कह रहा है कि प्रचार का उद्देश्य विरोध को जारी रखना है, भले ही कानून वापस ले लिया जाए। जाहिर है, यह प्रोटेस्ट कहीं भी कृषि कानूनों से संबंधित नहीं है। उनका उद्देश्य केवल अराजकता फैलाना और वैश्विक स्तर पर मोदी सरकार को घेरना है।

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