औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस और शिवसेना में तीखी बहस का दौर जारी है. इसी बीच शिवसेना ने मुखपत्र सामना के जरिए कहा कि कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का विचार है कि औरंगाबाद को संभाजीनगर का नाम नहीं दिया जाना चाहिए. राउत ने कहा कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था बल्कि एक क्रूर प्रशासक था.
मुंबई: औरंगाबाद (Aurangabad) शहर का नाम बदलने को लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra) में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार में शामिल शिवेसना (Shiv Sena) और कांग्रेस (Congress) के बीच रविवार को तीखी बहस हुई. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) नीत पार्टी ने कहा कि यदि किसी को क्रूर एवं धर्मांध मुगल शासक औरंगजेब प्रिय लगता है तो इसे धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता है.
5 वर्षों में क्यों नहीं आया मुद्दा
पलटवार करते हुए कांग्रेस ने शिवसेना और विपक्षी भाजपा पर नाम बदलने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनसे पूछा कि पिछले 5 वर्षों से महाराष्ट्र में सत्ता में रहने के दौरान उन्हें यह मुद्दा याद क्यों नहीं आया? महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट (Balasaheb Thorat) ने हालांकि कहा कि राज्य में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की एमवीए सरकार स्थिर है. सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम (CMP) के अनुसार काम करती है और भावुकता की राजनीति के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.
अब इस नाम से जाना जाएगा औरंगाबाद
राज्य की पूर्व सरकार में सहयोगी रहीं शिवसेना और भाजपा औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज, के नाम पर ‘संभाजीनगर’ रखने के लिए आधार बना रही हैं. शिवसेना के मुखपत्र सामना (Saamana) में अपने वीकेंड कॉलम में पार्टी के सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का विचार है कि औरंगाबाद को संभाजीनगर का नाम नहीं दिया जाना चाहिए.
इस फैसले से वोट बैंक प्रभावित होगा
राउत ने आगे कहा, 'इन दलों को लगता है कि अगर औरंगाबाद का नाम बदला गया तो मुसलमानों जैसे अल्पसंख्यक समुदाय खुश नहीं होंगे और इससे उनका वोट बैंक प्रभावित होगा, और उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल उठाए जाएंगे. राउत ने कहा कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था बल्कि एक क्रूर प्रशासक था. शिवसेना पर पलटवार करते हुए थोराट ने कहा कि महाराष्ट्र और केन्द्र की सत्ता में पिछले पांच वर्षों तक रहे लोग नाम बदलने को लेकर राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने पूछा कि इन दलों (शिवसेना और भाजपा) को यह मुद्दा उस समय याद क्यों नहीं आया जब वे सत्ता में थे?
'हम मराठी हैं, छत्रपति हमारे देवता हैं'
किसी पार्टी का नाम लिए बगैर थोराट ने कहा कि जो लोग छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के नामों का उपयोग करके राजनीति कर रहे हैं, उन्हें, उनकी पार्टी या उन्हें इन दोनों के बारे में सिखाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम मराठी लोग हैं और छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज, हमारे देवता हैं. हम अपने आदर्शो का उपयोग करके वोट नहीं मांगेंगे और अगर कोई भी ऐसा करता है तो हम दृढ़ता से विरोध करेंगे.’
from Zee News Hindi
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