क्या लाल किले के ऊपर खालिस्तान का झंडा फैहराया गया था अथवा नही, कुछ लोगो ने इसमे भी बड़ा असमझस पैदा कर दिया है, वो निशान साहिब है, क्यूँ है इसलिए कियोंकि वो एक धार्मिक चिन्ह है, फैरा दिया तो कोई बात नही?
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में 26 जनवरी 2021 को किसानों की ट्रैक्टर रैली (Tractor parade) के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी। गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड का लक्ष्य कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग करना था। दिल्ली पुलिस ने राजपथ पर समारोह समाप्त होने के बाद तय रास्ते से ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दी थी, लेकिन हजारों की संख्या में किसान समय से पहले विभिन्न सीमाओं पर लगे अवरोधकों को तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए और किले के ऊपर खालिस्तान का झंडा फैहरा दिया था। कई जगह पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई और पुलिस को लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा। गणतंत्र दिवस को हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए थे।
खबरदार दिल्ली हम वक्कल उतार देंगे: राकेश टिकैत
बहुत सारे किसान हैं जिन्होने अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया हैं, सूत्रो के हवाले से पता चला है की इसकी तैयारी बहुत ही पहले से चल रही थी की वहाँ पर खालिस्तान का झंड फैराना है। खालिस्तान के झंडे को फैहराने के लिए कितने पैसे मिलने वाले थे, और वो 26 जनवरी को ही क्यूँ और वो लाल किले पर ही क्यूँ फैराया जाना है? इस पूरे के पूरे इस आंतक मे तकरीबन 300 मासूम बच्चे जो पूरी तरीके से कैद हो चुके थे जो डरे हुए थे पुलिस ने अपनी जान को झोखिम मे डाल कर के इन आंतकवादियों से उन 300 बच्चो को बचाया है।
कुछ लोग इनको अन्नदाता कह के संबोधित कर रहे हैं... दाता जो दान मे देता है उसको दाता कहा जाता है.. जो उसकी कीमत वशूल करता है और कीमत वशूल करने के साथ ही साथ दूसरे लोगो के रास्ते रोक कर के बैठता है, उन लोगो के लिए असुविधा को प्रस्तुत करता है और साथ ही साथ दिल्ली मे आंतक मचाता है लोगो के ऊपर ट्रॅक्टर चढ़ाता है, मार काट मचाता है, ये लोग अन्नदाता नही ये लोग खरे व्यापारी है। जो उगाते हैं वो बेचते हैं, कीमत लगाते हैं, कीमत यदि आप नही दे पाएँगे तो आपको समान तो छोड़िये दो दाने तक नही देंगे, ऐसे ऐसे लोग बॉर्डर पर धरणा पारदर्शन कर रहे हैं।... जो कोई भी उगाता है वो अपने व्यापार के लिए उगाता है. अपना पेट भरने के लिए उगाता है।
यदि ये जो टॅक्स पेयर्स हैं ये चाहें तो ये इंपोर्ट भी कर सकते हैं, लेकिन जो उगा रहें हैं यदि फालतू है तो वो बेचेगा नही तो सड़ जायेगा, बाकी आप समझदार हैं..बहुत हुआ सम्मान। आप लोग भी यानि हम लोग अपना जेब काट करके तब जाकर इन लोगो को देते हैं । MSP के आने से टेक्स पेयर्स (Tax payer) के उपर बजन बढ़ता है फिर भी टॅक्स पेयर ने इसको स्वीकार किया, भले ही Tax payer के जेब के उपर बजन बढ़ जाए, लेकिन जब सामने वाले को सरम नही आ रही तो हम उसमे क्या कर सकते हैं।
अब बात करते हैं राकेश टिकैत के बारे मे, राकेश टिकैत के दो वीडियो ऐसे हैं जो संदिग्ध हैं जो बहुत Viral हो रहे हैं। पहला वीडियो है जिसमे वो कहता है की " हम वक्कल उतार देंगे. सावधान... खबरदार दिल्ली अगर हमें अंदर घुसने से रोका गया तो सबका वक्कल उतार देंगे, सबका वक्कल उधाड़ देंगे" और दूसरा वीडियो वो है जिसमे राकेश टिकैत कह रहे हैं की "झंडे लगाने के लिए अपनी लाठी गोदी सब ले कर के तैयार होकर आ जाना" आपको बता दे की "लाठी गोदी" वो होता है जिससे की लड़ाई लड़ी जाती है, एक दुसे को मारा मार-पीटा जाता है हमला किया जाता है.. लाठी, डंडे, गॉड्डी जो कहा जाता हे उसका झंडे से कोई मतलब नही होता है, ये कह दिया की झंडे लगाने हैं। झंडा टांगना उसके साथ मे एक डंडी होनी चाहिए, गोर करने की बात यहाँ पर डंडी नही कहा गया, लाठी-गॉड्डी कहा गया है।
किन लोगो का आंदोलन है ये?
हमने पहले भी कहा था की किसान आंदोलन (Peasant Movement) हाइजैक हो गया है... राकेश टिकैत को खड़ा कर के उससे मंदिरो को, ब्राह्मणो और हिन्दुओं के लिए खूब गाली गलोच करवाई गयी थी, वीडियो शूट किया गया था, शिखो के द्वारा उसको वायरल किया गया था, उसके बाद क्या हुआ इनके कंधों पे चढ़ कर के लोग पहुँचे लाल किला, और लाल किला पहुँच कर के वहां उन लोगो ने क्या किया? वहां निशान साहिब चढ़ा दिया वहां एक भी झंडा किसानो का नही था, जबकि किसानो मे ये था की वहां पे झंडा किसान का चढ़ेगा। तो ये लोग ये बताए की पूरा का पूरा आंदोलन जो है ये किसानो का आंदोलन है या खालिस्तानियों का आंदोलन है या फिर ये शिखो का आंदोलन है ...? क्या ये गुरु द्वारे का आंदोलन है या ये शिखो के नियंगो का आंदोलन है...? किस का आंदोलन है ये...? इन लोगो से जबाब देते नही बन रहा है।
आज हर एक हिन्दुओं की यही स्थिति है की वो दूसरो की बहकाबे मे आ कर के अपने धर्म मज़हब, अपने पंथ संप्रदाय का अपमान कर लेता है, और उन लोगो ने क्या किया, उन लोगो ने अपने सम्मानित नियंगो को ले जा कर के खड़ा कर दिया, इन लोगो के तरफ से कोई धर्म गुरु था क्या, उन लोगो के सारे नियांग तलवार ले ले कर के पहुँचे, और उन्होने लाल किले के ऊपर निशान साहिब चढ़ा दिया, साथ ही साथ खालिस्तान का झंडा भी फैहरा दिया, और कुछ लिबरल लोग हैं जो की लोगो आँखो मे धूल झोकने का काम कर रहे ये लोग कह रहे ये खालिस्तान का झंडा नही है... ये लोग वो हैं जो आँखो मे आँख डाल कर के झुट बोलते हैं,और सब लोग मान लेते हैं, ये निशान साहिब है पवित्र स्थान, वो कोई पवित्र स्थान नही है वो एक राजनैतिक स्थान है, और हम सब ने स्वीकार किया है तिरंगे को। सबसे ज़्यादा रियास्ते वहां पर राजपूतो की थी, अंतिम समय मे वहां से मुगलो का शासन हटा था, कल अगर मुसलमान आ गये और ये कहने लग गये की " हमने यहा पर शासन किया है और एक दिन के लिए हमारा झंडा भी लगना चाहिए, हमारा जो मज़हबी झंडा है " वो लगना हा तो तब क्या होगा? सबसे ज़्यादा रियासते वहाँ पर राजपूतो की थी और आज तक उन्होने ये नही कहा की वहां पर हमा झंडा लगना चाहिए।
इस बजह से 84 मे भी यही स्थती आई थी जब लाल किले के उपर कब्जा करने के लिए आए थे. 22 जनवरी सुबह साढ़े 10 बजे जब Live Telecast हुआ की उसमे बताया गया की भारत आज़ाद हुआ 1947 को, लेकिन शिखो को गुलाम बनाने का जो सम्विधान था वो आया था 26 जनवरी 1950 को, हम इस 26 जनवरी को, इस पूरे के पूरे सम्विधान को नकारते हैं, और कहा से नकारते हैं? लाल किले से नकारते हैं, केसे नकारते हैं? वहाँ पर खालिस्तान का झंडा फेहरा कर के, पूरी तरह से हम इनके संभीधान को नकारते हैं खालिस्तान हुमको मिलना चाहिए".. और वहाँ से फिर एक Speech दिया गया जिसमे कहा गया की "मुझे किसान भाई मेसेज कर के ये बताएँ के किसी के पास निशान साहिब की अगर कमी है तो हम झंडे भिजबा देंगे" यानी के ये जो किसान आंदोलन था ये स फ ज के साथ लगातार कॉन्टेक्ट मे था और वहां से इनको जो कुच्छ भी संदेश मिल रहे थे सबको फॉलो किया गया।
क्या वो खालिस्तान का झंडा था
अगर ये किसान आंदोलन होता तो झंडे आपको किसान आंदोलन के मिलते, अगर ये किसान आंदोलन होता तो झंडे आपको किसान आंदोलन के मिलते, यदि लाल किले के उपर भी फैहराया जाता तो किसान की विजय हुई है ऐसा बोला जाता , झंडा किसानो का फैहराना चाहिए था क्यूंकी किसानो मे सारे धरम, सारे धर्म-मजहब आ जाते। लेकिन लाल किले पर जो झंडा फैहराया गया उसमे केवल और केवल शिख आता है। तो क्या सिर्फ़ शिख ही किसान था? S F J के वे वीडियो जो Viral हुए हे, कहा गया हे की आप लोगो को क्या करना हे, कब करना हे, कहा करना हे, केसे करना हे वो सब कुछ रेग्युलेट किया गया S F J के द्वारा। कुछ लोगो ने कहा के झंडा जो फैहराया गया वो निशान साहिब है, आप ने गोर किया होगा वीडियो जो विराल हुआ हुआ उसमे निशान साहिब निचे की तरफ़ है, उपर की तरफ पीला झंडा खालिस्तान का झंडा था, निशान साहिब हमेशा तिकोना होता हे खालिस्तान का झंडा चकोर होता है, खालिस्तान के झंडे के ऊपर जो शिख का निसान है वो बना होता हे नीचे खालिस्तान लिखा होता है।
कुछ लोग अंधे हो गये हैं जिसे खालिस्तान का झंडा निसान साहब का लग रहा हे. कहते हैं की ये खालिस्तान का झंडा नही है। आपको बता दें ये 100% खालिस्तान का झंडा है जो उन लोगो ने लाल किले पर फैहरा दिया। खालिस्तान का झंडा ही फैहराने के लए वो लोग यहा आए थे। अगर मान भी ले की उन्होने निसान साहिब का झंडा ही पहराया तो निसान साहिब का झंडा भी क्यूँ फैहराया गया...? अगर शिखो का इतिहास कहता है की उन लोगो ने हिंदुओं को बचाया तो ये इसका सबूत क्या है महाराजा रणजीत सिंह, किंतु महाराजा रणजीत सिंह हिन्दुओं के राजा थे जो उनका झंडा साबित करता है, महाराजा रणजीत सिंह का झंडा जिसमे बीच मे माता दुर्गा हैं और साइड में राम जी और हनुमान जी हैं...
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Image Source: Satya Santan (YouTube) |
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