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मंदिर जिसे भूतों ने बनाया, Ghosts built this mysterious temple in one night |
Temple Of Ghosts: एक ही रात में भूतों ने बनाया यह रहस्यमयी डरावना मंदिर, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी।
Murena, Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश का एक गाँव जहाँ एक ऐसा मंदिर है जिसे इंसानों ने नहीं बल्कि भूतों ने बनाया है। सुनने में ये थोड़ा अजीब लगता है। लेकिन यहाँ के स्थानीय लोगो का तो यही मानना है। जहाँ रात में रुकना मना है। लोगो का कहना है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी। एक ऐसा रहस्यमयी डरावना मंदिर (Scary Temple) जिसे देखने के बाद वैज्ञानिक भी हैरान रह गए थे और मंदिर से दुरी बनाना ही उचित समझा। इस मंदिर को भूतों का मंदिर (Haunted Shiva Temple) कहते हैं।
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मंदिर जिसे भूतों ने बनाया, Mystery of Kakanmath Temple Murena Madhya Pradesh |
मंदिर देख कर लगता है कहीं गिर न जाये
ये मंदिर लगभग 100 फीट उंचा है। और करीब दो किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है। यदि आप इस मंदिर को सामने से देखेंगे तो ये मंदिर बाहर से पूरे तरीके से खण्डर जैसा दिखेगा। आपको ऐसा लगेगा कि ये मंदिर बहुत ही जल्दबाजी में तैयार किया गया होगा या निर्माण करने वाला इस मंदिर को अधूरा छोड़ कर चला गया होगा। नजदीक से इसका एक एक पत्थर लटकते हुए दिखाई देता है। जितना नजदीक जाएंगे, मन में उतनी ही दहशत लगने लगती है। लेकिन किसी की मजाल है, जो इसके लटकते हुए पत्थरों को भी हिला सके। एक बार देखकर तो मन में ये सवाल उठता है कि कहीं ये गिर ना जाए। लेकिन यह मंदिर वर्षों से अपनी जगह पर कायम है। बड़े बड़े आंधी तूफान आये। लेकिन इस रहस्यमयी मंदिर को हिला नहीं पाए। बताया जाता है कि मुस्लिम शासकों ने भी इस मंदिर को तोड़ने के लिए गोले तक दागे थे। लेकिन मंदिर को कोई भी नुक्सान नहीं पहुंचा। मंदिर के आसपास के बने कई छोटे छोटे मंदिर नष्ट हो गये। लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा ।
मंदिर जिसे भूतों ने बनाया : ये मंदिर मध्यप्रदेश के मुरैना ज़िले के सिहोनियां नामक एक गांव में स्थित है। और बहुत ही अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर (Mysterious Temple) है। इसका इतिहास करीब 1000 साल पुराना है। इस मंदिर के जैसा दुनिया में कोई भी दूसरा मंदिर नहीं है। इस मंदिर का नाम है। ककन मठ मंदिर (Kakanmath Mandir)। जो भगवान शिव जी का मंदिर है (Temple of Lord Shiva)। ये मंदिर प्राचीन स्थापित कला का अद्भुत उदाहरण है। ककनमठ मंदिर (Kakanmath Temple) के बारे में बताया जाता है कि बड़े बड़े पत्थरों से बने इस मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के सीमेंट गाड़े का प्रयोग नहीं किया गया है। सभी पत्थर एक के ऊपर एक कतार में रखे हुए हैं। मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाई। कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो मंदिर की रक्षा करती है। मंदिर के बारे में कमाल की बात तो ये है कि जिन पत्थरों से ये मंदिर बना है आस पास के इलाके में ये पत्थर नहीं मिलता।
भूतों ने रातों रात बना दिया यह रहस्यमयी मंदिर
कहते हैं कि इस मंदिर को इंसानों ने नहीं बल्कि एक ही रात में भूतों ने बनाया था। स्थानीय लोगो का कहना है कि सूर्यास्त तक यहाँ एक खाली मैदान था। लेकिन दूसरे दिन सूर्य उदय के साथ ही ये मंदिर अचानक दिखाई दिया। कहते हैं यहाँ आस पास कहीं शिव जी का मंदिर नहीं था। इस लिए भूतो ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए एक रात में इस भव्य मंदिर का निर्माण कर दिया। लोगो ने कहा कि मंदिर का कुछ और हिस्सा भी बनना था। लेकिन सुबह होने से पहले कुछ ऐसी इंसानी गतिविधियां हुई। जिसके चलते भूतों की टोली मंदिर का निर्माण कार्य अधूरा छोड़कर अचानक गायब हो गए। इसलिए ये मंदिर आज तक पूरा नहीं बन पाया।
मंदिर का नाम रानी ककनवती के नाम पर पड़ा
इस मंदिर के बनने को लेकर एक और कहानी भी बताई जाती है। कि कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने, इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया था। उनकी पत्नी रानी ककनवती भगवान भोलेनाथ की बड़ी भक्त थी। जिस वजह से इस मंदिर का नाम रानी ककनवती के नाम पर रखा गया।
ग्वालियर शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर मुरैना में स्थित, ये ककन मठ मंदिर आज देश विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर में बेहतरीन नक्काशी की गई है। जिसकी शैली खजुराहो के मंदिर की नक्काशी से काफी हद तक मिलती जुलती है। मंदिर में घुसते ही जमीन पर मंदिर के टूटे अवशेष, नजर आने लगेंगे। दीवारों पर आपको, कई हिंदू देवी देवताओं की खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिलेगी। लेकिन कई टूटी हुई अवस्था में मौजूद हैं। इन मूर्तियों को युद्ध के लिए आए कई मुस्लिम शासकों ने तोड़ दिया था। इस मंदिर में एक गर्भगृह भी है। जहां पर लोग आज भी भगवान शिव की उसी श्रद्धा से पूजा करते हैं। आपको बता दें, मंदिर के कई अवशेष ग्वालियर के म्यूजियम में रखे हुए हैं।
वैज्ञानिकों को जब ककनमठ मंदिर के बारे में पता चला तो इस मंदिर पर शोध करने के लिए वहाँ पहुँच गए। जब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की टीम ने इस मंदिर में देखा। तो सब इस मंदिर को देख कर हैरान रह गए। मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के लेप जैसे चूना मिट्टी सीमेंट इन सब चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सब पत्थर एक के ऊपर एक कतारबद्ध रखे हुए हैं। मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर को देख कर लग रहा था। जैसे वो हवा में लटका हुआ है।
ऐसा लगा मानो हवा का एक तेज़ झोंका आने से बड़े बड़े ये पत्थर नीचे गिर जायेंगे। लेकिन ये मंदिर तो वर्षो से अपने स्थान पर अडिग खड़ा हुआ है। वो भी बिना किसी सीमेंट गाड़े के इस्तेमाल किये टिका हुआ है। परन्तु कैसे। जब ये बात उन लोगो ने यहाँ के स्थानीय लोगो से पूछी तो लोगो ने इस मंदिर को भूतों द्वारा बनायी जाने की बात कही। हालाकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भूत वाली बात को नकार दिया। परंतु सामने जो एक हजार साल पुराना मंदिर बिना किसी सीमेंट गाड़े के इस्तेमाल के खड़ा था। उसे नजरअंदाज करना मुश्किल था।
बाद में वैज्ञानिकों ने यह कह कर मंदिर से दूरी बना ली कि मंदिर के पास शाम होते ही कोई नहीं जायेगा। क्यूंकि उन लोगो को भय था कि यदि मंदिर को छेड़ा गया तो ये गिर सकता है।
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