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बुधवार, 6 अप्रैल 2022

Delhi Municipal Corporation Bill: संसद में पास हुआ दिल्ली नगर निगम विधेयक, राज्‍यसभा में ध्वनि मत से मंजूरी

शाह ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस विधेयक को पूरी तरह से संविधान प्रदत्त तरीके से लाया गया है।

Delhi Municipal Corporation Bill: संसद में पास हुआ दिल्ली नगर निगम विधेयक, राज्‍यसभा में ध्वनि मत से मंजूरी
Image Source : PTI / IndiaTV


नयी दिल्ली: संसद ने राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के प्रावधान वाले ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंगलवार को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि भारत सरकार की संवैधानिक क्षमता पर सवाल उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 (AA) के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है।

‘अनुच्छेद को पढ़ने के बाद सारे भ्रम दूर हो जाएंगे’
शाह ने कहा कि इस अनुच्छेद को पढ़ने के बाद सारे भ्रम दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है और केंद्र सरकार किसी पूर्ण राज्य के संबंध में विधेयक यहां नहीं ला सकती। इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने के केंद्र सरकार के अधिकार को लेकर सवाल उठाए थे और इसे संघीय ढांचे पर प्रहार करार दिया था। शाह ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस विधेयक को पूरी तरह से संविधान प्रदत्त तरीके से लाया गया है और यह किसी भी प्रकार से संघीय ढांचे पर आघात नहीं है।

‘संघीय ढांचे पर आघात उस समय होता जब...’
शाह ने कहा कि यह संघीय ढांचे पर आघात उस समय होता जब सरकार किसी पूर्ण राज्य के संबंध में कोई विधेयक लेकर आती। आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा कि अगर यही रवैया रहा तो नगर निगम में जीतने का दावा करते-करते वह दिल्ली की सरकार न गंवा दें। उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर 3 नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह निगमों को प्रताड़ित कर रही है और इससे दिल्ली की जनता प्रताड़ित हो रही है।

‘6 महीने बाद चुनाव होंगे तो विपक्ष हार जाएगा?’
शाह ने इस बात को निराधार बताया कि भारतीय जनता पार्टी सरकार हार के भय से आक्रांत होकर चुनाव टालना चाहती है। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि अगर 6 महीने बाद चुनाव होंगे तो क्या विपक्ष को हारने का भय है। उनके जवाब के बाद सदन ने विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया तथा विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। शाह ने कहा कि दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने तीन निगमों को करीब 40,500 करोड़ रुपये देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसमें काफी कटौती कर दी।

‘कई जरूरी सिफारिशों को दिल्ली सरकार ने नहीं माना’
शाह ने आरोप लगाया कि नगर निगम की कई महत्वपूर्ण सिफारिशों को दिल्ली सरकार ने नहीं माना, उनके कई अनुरोधों को खारिज कर दिया। शाह ने कहा कि ऐसे में निगम कैसे काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम को विभाजित करना एक गलती थी और इसके बाद भी अगर AAP सरकार ने इस तरह से व्यवहार नहीं किया होता तो नगर निगम सुचारू रूप से काम कर लेते। उन्होंने कहा कि चर्चा में उन्हें ‘पावर हंग्री’ (सत्ता का भूखा) बताया गया लेकिन ऐसा बयान देने वाले सदस्यों को आइना देखना चाहिए कि उन्होंने खुद क्या किया है।

‘बीजेपी को न हारने का भय, न जीतने का अहंकार’
शाह ने कहा कि बीजेपी को न तो हारने का भय है और न ही जीतने का अहंकार है। उन्होंने कहा कि जब लोकसभा में उनकी पार्टी के सिर्फ 2 सदस्य थे और उस समय सत्तारूढ़ पार्टी (कांग्रेस) की ओर से तंज कसा जाता था और उन्हें ‘हम 2 हमारे 2’ बताया जाता था। स्थानीय निकायों के चुनाव समय से कराने की कुछ विपक्षी सदस्यों की मांग का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि ऐसे सदस्यों को महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का भी हवाला देना चाहिए था जहां बिना कारण बताए ही चुनाव टाल दिए गए। पश्चिम बंगाल का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीतने का प्रयास करती है और इसके लिए विपक्षी कार्यकर्ताओं को निशाना नहीं बनाती।


‘बीजेपी की खुंदक जनता से निकाल रही है AAP सरकार’
शाह ने दावा किया कि AAP सरकार बीजेपी की खुंदक दिल्ली की जनता से निकाल रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बड़े पैमाने पर शराब की दुकानें खुल गयी हैं लेकिन उससे होने वाले राजस्व में नगर निगम का हिस्सा नहीं दिया जा रहा है। शाह ने पिछले कई वर्षों के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र से दिल्ली सरकार को मिलने वाली राशि में कोई कटौती नहीं की गयी है बल्कि उसमें खासी वृद्धि ही हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पुलिस सहित विभिन्न मदों में हर साल दिल्ली सरकार का करीब 17,000 करोड़ रुपये का भार उठाती है। 




(भाषा)
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