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Image: India TV Hindi |
नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन में छिड़े युद्ध के बीच तमाम भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं, जिन्हें सरकार वापस ला रही है। युद्ध के कारण हर कोई छात्र पहले यूक्रेन छोड़ने का प्रयास कर रहा है, ऐसे में दो दोस्त मोहम्मद फैसला और कमल की दोस्ती इतनी मजबूत रही कि युद्ध भी उन्हें एक दूसरे से जुदा नहीं कर सकी। युद्ध शुरू होने से दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के निवासी मोहम्मद फैसल को स्वदेश लौटने का मौका मिला और वाराणसी निवासी कमल सिंह को किसी वजह से टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन दोस्ती इतनी गहरी की दोनों ने एक साथ भारत लौटने का निर्णय लिया और फैसल ने अपनी टिकट को कैंसिल कर दिया।
दरअसल मोहम्मद फैसल और कमल सिंह दोनों यूक्रेन इवानो स्थित फ्रेंकविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रथम वर्ष एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले साल दोनों की दोस्ती यूक्रेन की राजधानी कीव के एयरपोर्ट पर हुई और दोनों एक साथ यूनिवर्सिटी के होस्टल में रहने लगे और एक दूसरे के साथ को पसंद भी करने लगे।
छात्र कमल सिंह के मुताबिक, फैसल और मेरे विचार काफी मिलते हैं और हम पढ़ाई को लेकर भी बेहद गंभीर हैं। भगवान का शुक्रिया कहता हूं कि कॉलेज समय में ऐसा दोस्त मिला, हम दोनों दोस्त हर वक्त पढ़ाई की ही बातें और अपने भविष्य को लेकर ही सोचते है, यही कारण है कि हमारी दोस्ती मजबूत हो गई। हालांकि अब दोनों दोस्त भारत वापस लौट चुकें हैं और अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित है। दोनों ने सरकार से मेडिकल पढ़ाई को लेकर एक अच्छा फैसला लेने की गुहार लगा रहे हैं ताकि उनका साल बर्बाद न हो। स्वदेश लौटने के बाद दोनों दोस्तों के परिवार भी बेहद खुश हुए और दोनों की दोस्ती को भी सराहा। फैसल के मुताबिक, उनके परिजनों ने खुश होते हुए कहा कि, दोस्ती कितनी अच्छी है, आखिर तक हाथ नहीं छोड़ा।
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स्वदेश लौटने के बाद मोहम्मद फैसल ने बताया, बीते साल 11 दिसंबर को हम यूक्रेन पढ़ाई करने के लिए पहुंच गए थे, कीव एयरपोर्ट पर हम सभी छात्र सबके इकट्ठा होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि हम सभी को इवानो फ्रेंकविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी जाना था। उसी दौरान मेरी कमल सिंह से दोस्ती हुई। इसके बाद हम यूनिवर्सिटी में एक साथ रहने लगे। युद्ध से दो दिन पहले मेरा टिकट हो गया था, हालांकि जब मैने अपने कॉन्ट्रेक्टर से इस बारे में जाना कि आखिर टिकट किन-किन लोगों का हुआ है तो उसमें कमल का टिकट नहीं था। इसके बाद मैंने यह फैसला लिया कि मैं अपने दोस्त कमल के बिना भारत वापस नहीं लौटूंगा। मेरे कॉन्ट्रेक्टर ने समझाने का प्रयास किया और यह भी कहा कि हालात खराब हो रहे हैं, लेकिन मैंने जाने से इनकार कर दिया।
फैसल ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि, मुझे कमल को अकेला छोड़ने का मन नहीं हुआ। मेरे परिवार ने भी मुझसे कहा कि वापस आ जाओ, खुद कमल ने भी मुझे डांटा और कहा कि तुम पहले चले जाओ। लेकिन मैंने अपने दिल की सुनी और मैं अपने दोस्त के लिए रुक गया। फैसल ने जब वापस जाने से मना किया तो अगले ही दिन दोनों ने अपने अन्य छात्रों की मदद की और रेलवे स्टेशन तक उन्हें सुरक्षा देते हुए छोड़ कर आए। इसी बीच दोनों ने एक दूसरे से यह तक कहा कि, जिस तरह यह लोग वापस जा रहे हैं, जल्द हम भी वापस दोनों एक साथ जाएंगे। जिस वक्त दोनों दोस्त अपने साथियों को छोड़ कर वापस आने लगे तभी 23 फरवरी को एक बड़ा हमला हुआ और एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया।
इसके अलावा फैसल ने आगे बताया कि, एयरपोर्ट तक साथ आए लेकिन एयरपोर्ट में मौजूद अधिकारियों ने हम दोनों को अलग अलग फ्लाइट में बिठा दिया। मैं इंडिगो की फ्लाइट से भारत वापस लौटा और कमल एयरफोर्स सी-17 से भारत वापस लौटा। दिल्ली लौटने के बाद कमल ने फैसल को फोन कर मिलने के लिए कहा लेकिन कमल दिल्ली स्थित यूपी भवन में मौजूद थे जहां सरकार की ओर से मौजूद लोगों ने कमल को जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि भवन के लोग छात्रों को लेकर चिंतित थे और उन्हें फ्लाइट से सीधे घर भिजवाना चाहते थे।
दूसरी ओर कमल सिंह ने बताया कि, मेरे परिवार के सदस्यों ने मेरे भारत लौटने के बाद मुझसे कहा कि, हमेशा इसी तरह की दोस्ती रखना, कभी हिन्दू मुस्लिम मत करना। फिलहाल इन दोनों की दोस्ती मानवता की मिसाल बनी हुई है, वहीं यूक्रेन से कई ऐसे भारतीय छात्र भी स्वदेश लौटे जिन्होंने युद्ध के मैदान में अपने पालतू जानवरों को भी नहीं छोड़ा और उन्हें फ्लाइट के माध्यम से अपने साथ लेकर पहुंचे। यूक्रेन संकट के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकरी देते हुए बताया कि शुक्रवार तक सरकार की पहली एडवायजरी जारी होने के बाद 20,000 से अधिक भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत लौट चुकें हैं। साथ ही सरकार ऑपरेशन गंगा के माध्यम से अभी तक 50 से अधिक उड़ानों से यूक्रेन से लगभग 10 हजार से अधिक भारतीयों को लेकर भारत पहुंच चुकीं हैं।
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