कांग्रेस कार्य समिति ने रविवार को हाल के विधानसभा चुनावों के नतीजों पर पांच घंटे से अधिक लंबी चर्चा की। बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी भूमिका से 'पीछे हटने' की पेशकश की, लेकिन पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले पदाधिकारियों ने उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया।
नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कहा कि वह पार्टी के हित में ‘किसी भी त्याग’ के लिए तैयार हैं जिसके बाद सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने उनके नेतृत्व में भरोसा जताते हुए उनसे आग्रह किया कि संगठनात्मक चुनाव संपन्न होने तक वह पद पर बनी रहें। सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने सोनिया गांधी से यह भी कहा कि वह कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए जरूरी बदलाव करें और सुधारात्मक कदम उठाएं। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे तक हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में यह फैसला भी किया गया कि संसद का बजट सत्र संपन्न होने के तत्काल बाद एक ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया जाएगा जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
जल्द ‘चिंतन शिविर’ में तय होगी आगे की रणनीति
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रदेश में ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन करने का प्रस्ताव दिया। ‘चिंतन शिविर’ से पहले सीडब्ल्यूसी की एक और बैठक होगी। बैठक के बाद सीडब्ल्यूसी के कई नेताओं ने बताया कि सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा कि वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुरूप पार्टी के हित में ‘किसी भी त्याग’ के लिए तैयार हैं।’ कई लोग इसे उनके इस कथन को इस्तीफे की पेशकश के तौर पर देख रहे हैं। उनके इस कथन के बाद सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने ‘सर्वसम्मति से’ उनके नेतृत्व में विश्वास जताया और कहा कि संगठनात्मक चुनाव होने तक वह पद पर बनी रहें।
बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया
बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि ‘जी 23’ के नेताओं ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा कि वे पार्टी का हिस्सा हैं और कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए अपनी बातें कह रहे हैं। सीडब्ल्यूसी में ‘जी 23’ समूह के नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक शामिल हैं। इस बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया, ‘‘लगभग सभी नेताओं ने बड़े खुले मन से अपने–अपने विचार रखे, बड़े खुले मन से चर्चा हुई। सभी नेताओं ने अपने विचार रखे।’’ सुरजेवाला कहा कि बैठक में चुनावी राज्यों से संबंधित प्रभारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों ने समग्र रिपोर्ट पेश की जिसमें हार के कारणों का विस्तृत उल्लेख किया गया। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि जब उन्होंने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली थी तो संगठन नाम की कोई चीज नहीं थी, लेकिन जो कदम उन्होंने उठाए हैं, उसका फल में भविष्य में मिलेगा।
पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन में विलंब और आंतरिक कलह के कारण नुकसान हुआ- हरीश चौधरी
सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा कि पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन में विलंब और आंतरिक कलह के कारण नुकसान हुआ। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है, ‘‘पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए गंभीर चिंतन का विषय हैं। पार्टी का यह मानना है कि अपनी रणनीति में खामियों के चलते हम जहां चार राज्यों में भाजपा सरकारों के कुशासन को प्रभावी ढंग से उजागर नहीं कर पाए, वहीँ पंजाब राज्य में नेतृत्व बदलाव के बाद मिले सीमित समय में सत्ता विरोधी लहर पर काबू नहीं पाया जा सका।’’
CWC में आगामी चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई
बयान के अनुसार, कांग्रेस पार्टी देश में आज व्याप्त राजनीतिक निरंकुशता के खिलाफ करोड़ों भारतीयों की आशाओं का प्रतिनिधित्व करती है और अपनी इस जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से सजग और जागरूक है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, ‘‘कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और भारत के लोगों को आश्वस्त करती है कि वह विधानसभा चुनावों के इस जनमत को विनम्रता से स्वीकार करते हुए एक सतर्क और जीवंत विपक्ष की भूमिका निभाएगी। कांग्रेस पार्टी भविष्य में होने वाले 2022 और 2023 के राज्यों के चुनाव एवं 2024 के लोकसभा व राज्यों के चुनाव की चुनौतियों से मुस्तैदी से निपटने के लिए तत्परता से हर तैयारी करेगी।’’
जल्द ‘चिंतन शिविर’ में तय होगी आगे की रणनीति
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रदेश में ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन करने का प्रस्ताव दिया। ‘चिंतन शिविर’ से पहले सीडब्ल्यूसी की एक और बैठक होगी। बैठक के बाद सीडब्ल्यूसी के कई नेताओं ने बताया कि सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा कि वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुरूप पार्टी के हित में ‘किसी भी त्याग’ के लिए तैयार हैं।’ कई लोग इसे उनके इस कथन को इस्तीफे की पेशकश के तौर पर देख रहे हैं। उनके इस कथन के बाद सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने ‘सर्वसम्मति से’ उनके नेतृत्व में विश्वास जताया और कहा कि संगठनात्मक चुनाव होने तक वह पद पर बनी रहें।
बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया
बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि ‘जी 23’ के नेताओं ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा कि वे पार्टी का हिस्सा हैं और कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए अपनी बातें कह रहे हैं। सीडब्ल्यूसी में ‘जी 23’ समूह के नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक शामिल हैं। इस बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया, ‘‘लगभग सभी नेताओं ने बड़े खुले मन से अपने–अपने विचार रखे, बड़े खुले मन से चर्चा हुई। सभी नेताओं ने अपने विचार रखे।’’ सुरजेवाला कहा कि बैठक में चुनावी राज्यों से संबंधित प्रभारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों ने समग्र रिपोर्ट पेश की जिसमें हार के कारणों का विस्तृत उल्लेख किया गया। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि जब उन्होंने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली थी तो संगठन नाम की कोई चीज नहीं थी, लेकिन जो कदम उन्होंने उठाए हैं, उसका फल में भविष्य में मिलेगा।
पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन में विलंब और आंतरिक कलह के कारण नुकसान हुआ- हरीश चौधरी
सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा कि पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन में विलंब और आंतरिक कलह के कारण नुकसान हुआ। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है, ‘‘पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए गंभीर चिंतन का विषय हैं। पार्टी का यह मानना है कि अपनी रणनीति में खामियों के चलते हम जहां चार राज्यों में भाजपा सरकारों के कुशासन को प्रभावी ढंग से उजागर नहीं कर पाए, वहीँ पंजाब राज्य में नेतृत्व बदलाव के बाद मिले सीमित समय में सत्ता विरोधी लहर पर काबू नहीं पाया जा सका।’’
CWC में आगामी चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई
बयान के अनुसार, कांग्रेस पार्टी देश में आज व्याप्त राजनीतिक निरंकुशता के खिलाफ करोड़ों भारतीयों की आशाओं का प्रतिनिधित्व करती है और अपनी इस जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से सजग और जागरूक है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, ‘‘कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और भारत के लोगों को आश्वस्त करती है कि वह विधानसभा चुनावों के इस जनमत को विनम्रता से स्वीकार करते हुए एक सतर्क और जीवंत विपक्ष की भूमिका निभाएगी। कांग्रेस पार्टी भविष्य में होने वाले 2022 और 2023 के राज्यों के चुनाव एवं 2024 के लोकसभा व राज्यों के चुनाव की चुनौतियों से मुस्तैदी से निपटने के लिए तत्परता से हर तैयारी करेगी।’’
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