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रविवार, 13 फ़रवरी 2022

रूपेश पांडेय मॉब लिंचिंग में न्याय की माँग करने वालों पर ही FIR: भाई की भी हो चुकी है मौत, परिवार पर कर्ज का बोझ

FIR against candle march justice for Rupesh Pandey mob lynching jharkhand hazaribagh
फोटो साभार : ऑपइंडिया , रूपेश पांडेय के परिजनों और गाँव की महिलाओं ने न्याय के लिए किया प्रदर्शन



भाजयुमो की माँग है कि इन सभी की जल्द से जल्द धर-पकड़ की जाए और फ़ास्ट ट्रैक अदालत में मामला चला कर एक साल के भीतर सभी दोषियों को सज़ा दी जाए। साथ ही संगठन ने रूपेश पांडेय के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने और एक सरकारी नौकरी देने की माँग भी की है।


झारखंड के हजारीबाग में मुस्लिम भीड़ द्वारा रूपेश पांडेय नाम के नाबालिग की हत्या का मामला अब तूल पकड़ रहा है। पूरे राज्य में हिन्दुओं ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए। भाजपा और भाजयुमो (युवा मोर्चा) इस मामले में खासी मुखर है। ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)’ भी सड़क पर है। इसी क्रम में झारखंड के चतरा में 400 के करीब युवाओं ने शांतिपूर्ण कैंडल मार्च निकाल कर न्याय के लिए विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन, इसमें उलटा उन लोगों पर ही केस दर्ज कर दिया गया।

रूपेश पांडेय हत्याकांड मामले में न्याय की माँग: उलटा मार्च निकालने वालों पर ही FIR

झारखंड के चतरा में रूपेश पांडेय हत्याकांड में न्याय की माँग के लिए कैंडल मार्च निकालने वाले 15 लोगों के खिलाफ सदर थाने में FIR दर्ज की गई है। आलोक कुमार, अंकित पांडेय, बैजनाथ यदुवंशी, भवानी रॉय, पिंटू कुमार, राजकुमार, संतोष जी, संतोष कुमार, सतीश पांडेय, उमेश भारती, राजेश राम, हिमांशु गुप्ता, कन्हाई पांडेय, राजदीप पांडेय और उत्तम पांडेय के खिलाफ ये मामला दर्ज किया गया है। शुक्रवार (11 फरवरी, 2022) को ये मामला दर्ज किया गया।

इन सभी के खिलाफ ‘भारतीय दंड संहिता (IPC)’ की धारा- 147 (उपद्रव या बलवा करना) और धारा-188 (महामारी के दौरान सरकारी निर्देशों का उल्लंघन) के अलावा ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA)’ की धारा-51 (आपदा के दौरान सरकारी आदेशों की अवहेलना) और ‘महामारी अधिनियम’ की धारा-3 भी लगाई है। लोगों ने इस तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन को कुचलने के लिए FIR दर्ज किए जाने का विरोध किया है। झारखंड में भाजयुमो संगठन ने भी इसकी निंदा की है।

इस सम्बन्ध में ऑपइंडिया से बात करते हुए भाजयुमो नेता सुमन सौरव ने बताया कि चतरा में कई हिंदूवादी संगठनों और हिन्दू कार्यकर्ताओं ने 11 फरवरी को एक मार्च का आयोजन किया था। उन्होंने बताया कि 1 किलोमीटर तक के नगर भ्रमण के दौरान ‘जस्टिस फॉर रूपेश पांडेय’ के बैनर के साथ न्याय की माँग की गई। उन्होंने बताया कि इस हत्याकांड के मामले में ये झारखंड का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था। उन्होंने चतरा सदर थानाध्यक्ष लव कुमार सिंह का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि वो अक्सर हिन्दू कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज कर देते हैं।

उन्होंने बताया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान तो पुलिस-प्रशासन ने कुछ नहीं कहा और सब कुछ शांतिपूर्ण था, लेकिन अगले दिन ही पता चला कि केस कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि विरोध के लिए कई शहरों में ऐसे ही शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुए। उन्होंने बताया कि रूपेश पांडेय हत्याकांड के मामले में अब तक 27 नामजद में से मात्र 5 की गिरफ़्तारी की खबर है। जबकि भाजयुमो की माँग है कि इन सभी की जल्द से जल्द धर-पकड़ की जाए और फ़ास्ट ट्रैक अदालत में मामला चला कर एक साल के भीतर सभी दोषियों को सज़ा दी जाए। इस मामले में NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) के पास भी शिकायत गई है।

साथ ही संगठन ने रूपेश पांडेय के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने और एक सरकारी नौकरी देने की माँग भी की है। रूपेश पांडेय अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। भाजयुमो का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन इस हत्याकांड को ‘बच्चों की लड़ाई’ बता कर मामले को कमजोर करना चाह रहा है, इसे दबाना चाह रहा है। सुमन सौरव ने इस मामले में मॉब लिंचिंग की धारा लगाए जाने की माँग की। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार ने अब तक पीड़ित परिवार की किसी प्रकार की मदद नहीं की है।

ये भी सामने आया है कि रूपेश पांडेय के माता-पिता एक घर भी बनवा रहे थे। रूपेश पांडेय इंटरमीडिएट के छात्र थे और साथ ही परिवार का गुजर-बसर चलाने के लिए एक मोबाइल की दुकान में भी काम करते थे। अपने घर में कमाने वाले वो इकलौते व्यक्ति थे। उनकी माँ महिला समिति में काम करती हैं और पिता छोटे स्तर पर खेती-बारी करते हैं। परिवार का कहना है कि ये मामला जिला अदालत से लेकर उच्च-न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, इसीलिए उन्हें चिंता है कि वो इतना बड़ा केस कैसे लड़ेंगे?

रूपेश पांडेय के एक भाई भी थे, लेकिन कुछ सालों पहले साँप काटने की वजह से उनकी भी मौत हो गई थी। चूँकि इस मामले में सारे के सारे आरोपित मुस्लिम हैं, ऐसे में परिवार को आशंका है कि केस लंबा खिंचेगा और उनके पास इसके लिए रुपए नहीं हैं। सुमन सौरव ने बताया कि इसके लिए वो लोग क्राउडफंडिंग का अभियान चला रहे हैं, ताकि परिवार की वित्तीय मदद हो जाए। रूपेश पांडेय की माँ के बैंक खाते पर लोगों को डोनेशन के लिए अपील की जा रही है।

गाँव के महिलाओं का कहना है कि इस मॉब लिंचिंग के दौरान वहाँ मुस्लिम महिलाएँ भी मौजूद थीं और चिढ़ाते हुए गलत टिप्पणियाँ कर रही थीं। ग्रामीणों के अनुसार, जब रूपेश पांडेय को अधमरी अवस्था में अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब वो मुस्लिम महिलाएँ टिप्पणी करते हुए कह रही थीं, “ये लड़का अब भी ज़िंदा लग रहा है। लगता है कि इसे ठीक से ‘बजाया’ नहीं गया है।” ‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किया।

साथ ही राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर के इस मामले में न्याय के लिए आवेदन दिया। रामगढ़ और खूँटी में रविवार को हिन्दुओं ने बंद का ऐलान किया है। आगे भी विरोध प्रदर्शन की योजना है। भाजयुमो नेता सुमन सौरव का कहना है कि ये विरोध प्रदर्शन कोई एक संगठन या राजनीतिक दल नहीं कर रहा है, बल्कि जनता स्वतः इसके लिए जागरूक है और लोग स्वेच्छा से आगे आ रहे हैं। आरोप है कि झारखंड सरकार इस मॉब लिंचिंग के दोषियों को पकड़ने की बजाए न्याय की माँग को ही कुचल रही है।

रूपेश पांडेय मॉब लिंचिंग: क्या कहना है माँ और परिजनों का

मृतक रूपेश पांडेय की माँ ने बताया, “मेरा बेटा दुकान में रहता था। सुबह के 9 बजे वो घर से निकलता था। दोपहर के 2 बजे वो घर से भोजन कर के गया और शाम के 5 बजे खबर आई कि आपका बेटा बेहोश पड़ा हुआ है। मियाँ सब के बच्चे उसे पकड़ कर के गए और उसका जान मार दिया। पप्पू मियाँ उसकी छाती पर चढ़ गया था। उलटा वो लोग हमारे ऊपर ही आरोप लगा रहे हैं। अपनी बस्ती में खुद आग लगा कर हम पर आरोप लगा रहे हैं। सिलिंडर से आग लगा कर हमें फँसा रहे हैं।”

परिजनों ने आरोप लगाया कि एक सप्ताह होने के बावजूद अब तक पुलिस-प्रशासन ने इस मामले में कोई छानबीन नहीं की है। उन्होंने दोषियों के लिए फाँसी की माँग करते हुए कहा कि कार्रवाई नहीं की जाती है तो सड़क जाम किया जाएगा। रूपेश पांडेय की माँ ये बात बोलते हुए लगातार रोते रहती हैं कि उनके दोनों बेटे आँखों के सामने से चले गए। जिनकी दुकान में रूपेश काम करते हैं, उन्होंने बताया कि वो उसे दुकान में बैठा कर चाय पीने गए थे और तभी तक ये घटना हो गई।
 
परिवार का कहना है कि उनकी आय का अब कोई साधन नहीं है। साथ ही परिवार कर्ज के बोझ तले भी दबा हुआ है। महिलाएँ मिल कर ‘सखी’ वाली एक समूह चलाती हैं, उसमें भी परिवार पर कर्ज है। रूपेश पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करते थे, ऐसे में परिवार की आर्थिक स्थिति समझी जा सकती है। गाँव की महिलाओं ने ‘रूपेश के हत्यारों को फाँसी चाहिए’ और ‘न्याय चाहिए’ के नारे भी लगाए। महिलाओं का कहना है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वो मजबूरी में सड़क जाम करने का रास्ता अख्तियार करेंगी।

हजारीबाग में रूपेश पांडेय की मुस्लिम भीड़ द्वारा हत्या: क्या है FIR में?

ये घटना झारखंड के हजारीबाग के बरही थाना क्षेत्र की है। मृतक के चाचा अनिल कुमार पांडेय ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई है। उन्होंने बताया है कि रूपेश शाम के 5 बजे दुकान पर बैठा था, तभी उसके कुछ दोस्तों ने उसे सरस्वती पूजा विसर्जन में शामिल होने के लिए बुलाया। ये घटना 5 फरवरी, 2022 (रविवार) की है। चाचा ने बताया है कि कैसे असलम अंसारी उर्फ़ पप्पू मियाँ के नेतृत्व में मौजूद मुस्लिम भीड़ ने उनके भतीजे को पकड़ कर पीटा।

इस मामले में आरोपित हैं – असलम अंसारी, मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद कैफ, मोहम्मद गुफरान, मोहम्मद चाँद, मोहम्मद ओसामा, मोहम्मद एहताम, मोहम्मद जाहिद, मोहम्मद सोनू, मोहम्मद फैसल, मोहम्मद शाहबाज, रब्बानी मियाँ, मोहम्मद आशिक, मोहम्मद जाशिद, मोहम्मद आशिक, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद सलमान, मोहम्मद इरफ़ान, मोहम्मद सलमान उर्फ़ भाले, मोहम्मद छोटे, मोहम्मद इस्तेखार, मोहम्मद इकबाल, मोहम्मद हसन, मोहम्मद अनीस और मोहम्मद नौशाद।

प्राथमिकी में बताया गया है कि मॉब लिंचिंग में कई महिलाएँ भी शामिल थीं। इसमें लिखा है, “भीड़ ने मेरे भतीजे के सीने पर चढ़ कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। वहाँ मौजूद कुछ लोगों ने देखा कि भीड़ मेरे भतीजे की छाती पर चढ़ कर उसे लगातार पीट रहे थे। वहाँ से उसे अनुमंडल अस्पताल ले जाया गया। ये एक मॉब लिंचिंग है, जिसमें समुदाय विशेष ने हत्या की है। इस घटना में शामिल सभी अज्ञात और नामजद लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।”


इनपुट - ऑपइंडिया

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