संतोष मूरत इस बार वाराणसी के शिवपुर विधानसभा से जनसंघ पार्टी से पर्चा भरकर फिर से चर्चा में आ गए हैं।
नई दिल्ली: चुनाव में प्रत्याशी अलग-अलग कारणों से चुनाव में हिस्सा लेते हैं। कोई पॉवर के लिए चुनाव लड़ता है तो कोई प्रतिष्ठा के लिए। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति भी है जो इसलिए चुनाव में हिस्सा लेता ताकि वो सरकारी दस्तावेजों में खुद को जिंदा साबित कर सके। वाराणसी में रहने वाले इस व्यक्ति का नाम संतोष मूरत सिंह है। संतोष मूरत लंबे वक्त से बार-बार चुनाव का पर्चा भरते हैं ताकि राजस्व विभाग उन्हें अपनी फ़ाइल में ज़िंदा कर दे जिससे वे अपने हिस्से की जमीन पाटीदारों के कब्जे से वापस ले सकें। जिन्होंने सरकारी फ़ाइल में संतोष को मृत साबित करके उनके हिस्से की जमीन हड़प ली थी। संतोष मूरत ने वाराणसी के शिवपुर विधानसभा से जनसंघ पार्टी से पर्चा भर कर फिर से चर्चा में आ गए।
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में है मृत घोषित
संतोष मूरत बताते है कि 21 साल पहले उनके गांव में नाना पाटेकर एक फिल्म की शूटिंग करने आये थे। वाराणसी में अपना गांव छोड़कर संतोष मूरत नाना पाटेकर के साथ मुंबई चले गए। 3 सालों तक नाना पाटेकर के साथ रहे और मुंबई में रहने के दौरान उन्होंने शादी कर ली। इसके बाद संतोष को पता चला कि उनके पाटीदारो ने वाराणसी सदर तहसील के राजस्व विभाग के सरकारी दस्तावेजों में संतोष मूरत को मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में मरा हुआ साबित कर उनकी संपत्ति हड़प कर लिया। यहां तक कि गांव में उनकी तेरहवीं भी की जा चुकी है। उन लोगों ने संतोष की साढ़े 12 एकड़ जमीन अपने नाम करा ली। तब से संतोष के जीवन में संघर्ष शुरू हो गया और संतोष खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
सलमान खान से भी हैं नाराज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संतोष मूरत पिछले 20 वर्षों से निर्दल ही चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन जनसंघ पार्टी ने इस बार उन्हें टिकट दिया है। संतोष के पास वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड भी है, लेकिन राजस्व विभाग की फाइल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने आगे बताया कि एक तरफ तो उनके पटीदारों ने उनकी जमीन पर कब्जा करके उनका हक मार लिया है तो वहीं सलमान खान ने भी उनके जीवन पर 'कागज' फिल्म बनाकर उनके जीवन पर कब्जा कर लिया है।
कई बार खारिज हो चुका है नामांकन
वे बताते हैं कि 2012 में उन्होंने राष्ट्रपति के लिए तिहाड़ जेल से नामांकन भरा था। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात हो चुकी है, लेकिन किसी से मदद नहीं मिल सकी। वे राष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा और बीडीसी सारे चुनाव में पर्चा भर चुके हैं। इसी बार कानपुर से उनका पर्चा भी खारिज हो चुका है. उन्होंने बताया कि उनका नामांकन कई बार खारिज हो चुका है। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में वे चुनाव में वाराणसी से खड़े हुए थे और उन्होंने 7200 वोट भी पाए। उसके बाद बीते पंचायत चुनाव में भी बीडीसी के पद पर लड़ने का मौका मिला।
उन्होंने दावा किया कि अगर वे जीतते हैं तो वे मजलूमों की आवाज बनेंगे और अपने जैसे जिंदा, लेकिन सरकारी अभिलेखों में मृतकों की भी लड़ाई लड़ेंगे।
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