लंदन के एक निजी बगीचे में मिली योगिनी की मूर्ति (फोटो-ट्विटर) |
उत्तर प्रदेश: लोखरी के एक मंदिर से चोरी होने के 40 साल बाद 10 वीं शताब्दी की "योगिनी" की मूर्ति भारत लाया जा रहा है
शुक्रवार को, मकर संक्रांति के अवसर पर, लंदन में भारतीय उच्चायोग (The High Commission of India) ने एक बकरी के सिर वाली देवी की एक प्राचीन भारतीय मूर्ति बरामद की, जो 40 साल पहले उत्तर प्रदेश के लोखरी गांव में एक मंदिर से गायब हो गई थी। लोखरी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले में मऊ अनुमंडल में एक छोटा सा गांव है।
भारतीय दूत गायत्री इस्सर कुमार ने बकरी के सिर वाली योगिनी की मूर्ति को शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) को सौंप दिया।
भारतीय दूत गायत्री इस्सर कुमार ने बकरी के सिर वाली योगिनी की मूर्ति को शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) को सौंप दिया।
Flash: 10th Century stone idol that had been illegally removed from a temple in Lokhari, Banda, Uttar Pradesh being returned to India from UK, announces Indian High commission @HCI_London pic.twitter.com/iQXc5fo4gX
— Sidhant Sibal (@sidhant) January 14, 2022
लंदन में एक निजी निवास के बगीचे में पाई गई मूर्ति
भारतीय उच्चायोग (The High Commission of India) के आधिकारिक बयान से पता चला है कि मूर्ति को 40 साल पहले लोखरी के एक मंदिर से अवैध रूप से चोरी कर लिया गया था और लंदन में एक निजी निवास के बगीचे में पाया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि यह मूर्ति योगिनी के एक बड़े संग्रह का हिस्सा है जो लगभग 1978 और 1982 के बीच लोखरी से गायब हो गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2021 में चोरी की गई कला कर्तिया वसूली करने वाले विशेषज्ञ क्रिस्टोफर मारिनेलो को मूर्ति तब मिली जब UK में रहने वाली एक विधवा ने योगिनी की मूर्ति सहित अपने घर की सामग्री को बेचने के लिए मदद मदद मांगी। मारिनेलो "आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल" (Art Recovery International) नाम से एक कंपनी का संस्थापक हैं, कंपनी जो लूटे गए और लापता कला कर्तियो को पुनर्प्राप्त करने में माहिर है। मारिनेलो ने बाद में इसके बारे में इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट को सूचित किया, जिसने मूर्ति को पुनर्प्राप्त करने में भारतीय उच्चायोग की सहायता की।
Oh, the English and their country houses. What looted colonial treasures do you keep inside and in your lovely gardens? Here, in Lootshire, we bring one back to where it belongs. The times are changing, if you have a "stolen art problem" let us know, we might be able to help. pic.twitter.com/fzKlIeYe5U
— Art Recovery International (@artrecovery) December 8, 2021
इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट (India Pride Project) के सह-संस्थापक विजय कुमार ने मूर्तिकला की पहचान की, जबकि आयोग ने स्थानीय और भारतीय अधिकारियों के साथ अपेक्षित दस्तावेज तैयार किए। इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट सिंगापुर स्थित NGO है जो पूरे भारत में लूटी गई सांस्कृतिक वस्तुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए समर्पित है।
बयान के अनुसार, योगिनी के आंकड़ों का अध्ययन भारतीय विद्वान विजय दाहेजा ने दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum) की ओर से किया था।
1986 में, अध्ययन को तब 'योगिनी पंथ और मंदिर: एक तांत्रिक परंपरा' (Yogini Cult and Temples: A Tantrak Tradition) नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था। बयान में कहा गया है कि मूर्तिकला की पहचान की पुष्टि करने के लिए उच्चायोग ने भी इस अध्ययन का हवाला दिया।
बिक्री के लिए लंदन के कला बाजार में भी रखी गयी थी मूर्ति
मूर्ति को 1988 में थोड़े समय के लिए लंदन के कला बाजार में देखा गया था, क्योंकि इसे $19,849 (£15,000) तक की नीलामी मूल्य के साथ सोथबी (Sotheby) की लिस्ट में बिक्री के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
बता दें कि योगिनियां तांत्रिक पूजा पद्धति से जुड़ी शक्तिशाली महिला देवताओं का एक समूह हैं। उन्हें एक समूह के रूप में पूजा जाता है, जिसमें अक्सर 64 होती हैं और माना जाता है कि उनके पास अनंत शक्तियां होती हैं। मकर संक्रांति के शुभ दिन बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्ति को नई दिल्ली के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भेज दिया गया।
पेरिस में भी मिली थी योगिनी की एक ऐसी ही मूर्ति
2013 में पेरिस में भारतीय दूतावास ने भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी की एक ऐसी ही मूर्ति को बरामद किया था, जो निश्चित तौर पर लोखरी गांव के उसी मंदिर से चुराई गई थी। इस वृषणा योगिनी की मूर्ति को सितंबर 2013 में नयी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया था।
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