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रविवार, 17 जनवरी 2021

Rajya Sabha में बढ़ा क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग, संस्‍कृत रही पांचवे नंबर पर

Use of regional languages ​​increased in Rajya Sabha, Sanskrit remains at number five


सांसदों ने 2018-20 के दौरान पहली बार 22 अनुसूचित भाषाओं में से 10 में बात की है, जिसमें से संस्कृत उच्च सदन में पांचवीं सबसे ज्‍यादा उपयोग की गई भारतीय भाषा रही है.

नई दिल्ली: राज्य सभा (Rajya Sabha) की कार्यवाही में क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) का उपयोग 5 गुना से ज्‍यादा बढ़ गया है. सांसदों ने 2018-20 के दौरान पहली बार 22 अनुसूचित भाषाओं में से 10 में बात की है, जिसमें से संस्कृत उच्च सदन में पांचवीं सबसे ज्‍यादा उपयोग की गई भारतीय भाषा रही है.

2019-20 के दौरान 22 अनुसूचित भाषाओं में से हिंदी, तेलुगु, उर्दू और तमिल के बाद संस्‍कृत राज्य सभा में पांचवीं सबसे ज्‍यादा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा रही.

60 साल बाद इन भाषाओं का पहली बार हुआ उपयोग 
163 कार्यवाहियों के साथ 2018-20 के दौरान, क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग 135 बार किया गया. इसमें बहस में 66 इन्टर्वेन्शन, 62 शून्य काल में और 7 विशेष उल्लेख शामिल हैं. 1952 के बाद से करीब 60 साल बाद उच्च सदन में पहली बार 22 अनुसूचित भाषाओं में से डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी और संथाली जैसी 4 भाषाओं का इस्तेमाल किया गया. 2018 में राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू के कहने पर इन 4 भाषाओं और सिंधी भाषा में एक साथ व्याख्यात्मक सेवा की शुरुआत की गई.

इसके अलावा, असमिया, बोडो, गुजराती, मैथिली, मणिपुरी और नेपाली जैसी 6 भाषाओं का उपयोग एक लंबे अंतराल के बाद किया गया है. यह खुलासे राज्य सभा के एक दस्तावेज से हुए हैं.

सभापति नायडू के प्रयास रंग लाए 
राज्य सभा के सभापति नायडू के प्रयासों से क्षेत्रीय भाषाओं के अधिक विविध उपयोग के परिणाम मिले हैं. उन्होंने ही सदन के सदस्यों से अपनी मातृभाषा में बोलने का आग्रह किया था. जुलाई 2018 में सभी 22 अनुसूचित भाषाओं में एक साथ व्याख्यात्मक सुविधाओं की उपलब्धता की घोषणा करते हुए, राज्य सभा सभापति ने 10 भाषाओं में सदन में बात की.

हिंदी-अंग्रेजी का सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल 
सदन की कार्यवाही के दौरान हिंदी और अंग्रेजी का सबसे ज्‍यादा इस्तेमाल होता है. 21 अन्य अनुसूचित भारतीय भाषाओं (हिंदी के अलावा) का उपयोग 2004-2017 के 14 साल की अवधि की तुलना में 2020 में 5 गुना (512 प्रतिशत) से अधिक हुआ.

राज्य सभा सदस्यों ने 2004 से 2017 के बीच 269 मौकों पर 10 अनुसूचित भाषाओं (हिंदी के अलावा) में 0.291 प्रति बैठक की दर से 2004-2017 के बीच 923 बैठकें कीं.

दस्तावेज में कहा गया है कि 2013-17 के दौरान 329 से अधिक बैठकें हुईं, ऊपरी सदन के सदस्यों ने 96 बार केवल 10 क्षेत्रीय भाषाओं (हिंदी के अलावा) में बात की.

from Zee News Hindi

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