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फ्रांस में रहने वाले इकबाल सिंह भट्टी इन दिनों भारत में हैं। उनके आने की वजह खास है। इकबाल 10 भारतीयों की राख साथ लेकर आए हैं, जिनकी फ्रांस में मौत हो गई थी। इनमें से 7 की मौत कोरोना से हुई थी। वे इसे मरने वालों के परिवार को सौंपेंगे।
65 साल के इकबाल सिंह पिछले 29 साल से फ्रांस में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे पेरिस के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती भारतीयों की देखभाल कर रहे हैं। इकबाल कहते हैं कि रब का बहुत शुक्रिया जो उसने मुझे सुरक्षित रखा, ताकि मैं यह काम कर सकूं।
जब भी भारत आए, राख साथ लाए
भट्टी ने बताया कि मैं जब भी भारत आता हूं, ऐसे भारतीयों की राख साथ ले आता हूं, जिनकी मौत फ्रांस में अकेले रहते हुए हुई है। मैं उनके परिजन को यह राख सौंप देता हूं ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें। इस बार इकबाल सिंह 10 लोगों की राख लेकर आए हैं। दिल्ली में रहने वाले दो परिवारों को इसे सौंप चुके हैं। बाकी परिवारों से मिलने के लिए वे जालंधर जाएंगे।
परिवार की सहमति से अंतिम संस्कार
भट्टी ने बताया कि हम परिवार की अनुमति लेकर पेरिस में शव का दाह संस्कार करते हैं और भारत आकर उनकी राख परिवार को दे देते हैं। अब तक हम 22 लोगों की राख ला चुके हैं। फ्रांस में कोरोना महामारी के दौरान लगभग 13 भारतीयों की मौत हुई। भारतीय दूतावास की मदद से भट्टी ने दो शव भारत भेजे। उन्होंने साफ किया कि दोनों की मौत कोरोना वायरस के कारण नहीं हुई थी।
अब तक 178 शव भी ला चुके हैं
इकबाल सिंह भट्टी ने 2005 में एक संगठन बनाया। यह संगठन फ्रांस में मरने वाले भारतीयों के अवशेष उनके परिवारों को लौटाने का काम करता है। वे अब तक पेरिस से 178 शवों को भारत ला चुके हैं।
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